उसकी आदत थी, वो कभी कुछ कहती ही नहीं ,
ईशारे तो दुर, वो कभी मुझे देखती ही नहीं |
पास होकर भी, रोज दुर हों जाते थे हम |
दिलो से दिलो की, मुलाकात हीं नहीं होती |
सोचता था हर रोज, की आज तो वो मुझें देखेगी जरूर |
इसलिए, सज-सँवर कर निकल जाया करता था मैं हर रोज |
लेकिन, कम्बक्त -ए-जिंदगी इतनी हसीन भी कहाँ होती |
चेहरो से चेहरो, की मुलाकात हीं नहीं होती |
यार कहने लगे थे, अब छोड़ भी दे उसकों |
बस वो तेरी जिंदगी का, एक ख्वाब ही थी |
लेकिन, तस्वीर जो उसकी मेंने अपने दिल में छुपा रखी थी|
अब उसके सिवा किसी और से मोहब्बत हीं नही होती |
उसका हँसना,उसका इतराना,उसका रूठना, उसकी हर अदा |
आज भी सब कुछ जिंदा हैं,मेरे जेहन में इस कदर |
बस अब वो नहीं हैं, उसकी वो खट्टी-मिठी यादे हीं हैं मेरे संग |
क्योंकि, अब वो मुझें अकेला छोड़ किसी और केे संंग जो चली गई |
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I like it
Thanks